प्राकृतिक सौंदर्य के लिये देश विदेश में विख्यात कुल्लू जिला में हर साल हजारों की संख्या में सैलानी आते है। लेकिन अधिकतर सैलानी सीधे मनाली या मणिकर्ण का रूख करते हैं। जबकि भुंतर जिला का प्रवेश द्वार है और हवाई जहाज से भी सैलानी भुंतर में ही उतरते हैं। लेकिन भुंतर की दशा आज के समय में लावारिश जैसी हो गई है। नगर पंचायत में विकास कार्यों को पूरी तरह से ग्रहण लगा हुआ है और शहर की स्थिति बेहद ही खराब हो गई। नगर पंचायत के प्रतिनिधि पूरी तरह से नकारा साबित हुये हैं। यह आरोप भुंतर नगर पंचायत के पूर्व अध्यक्ष दिनेश सूद ने लगाये हैं।
भुंतर नगर पंचायत में लगातार दस साल अध्यक्ष रहे दिनेश सूद ने लंबे अरसे बाद चुपी तोड़ते हुये कहा कि भुंतर शहर पूरी तरह से लावारिस हो गया है। यहां की सुध न तो जिला प्रशासन ले रहा है और न ही सरकार। जबकि नगर पंचायत के प्रतिनिधि केवल अपने स्वार्थ की पूर्ति में मस्त हैं। उन्होंने कहा कि भुंतर शहर में विकास कार्यों को पूरी तरह से ग्रहण लगा हुआ है। शहर के इकलौते पार्क को नप के प्रधान ने अपने ट्रकों की पार्किंग बना रखा है और वहां पर दिन भर गंदगी से भरे वाहन खड़े रहने से लोगोें को भी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
दिनेश सूद का कहना है कि कभी इस पार्क में बच्चे व लोग खेलने व टहलने का आनंद लेते थे । लेकिन सरकार के लाखों रूपये खर्च करके प्रधान के ट्रकों की पार्किंग बना देने के साथ ही उसे कचरे के ढेर में बदल दिया गया। जो कि नगर पंचायत के लिये बेहद शर्मनाक बात है। जबकि इस पार्क को और बेहतर बनाकर उसका सौंदर्यकरण किया जाना चाहिये था ताकि यहां वर लोग व बच्चे घुमने व खेलने का आनंद ले सकें। इसके साथ ही यहां पर आने वाले सैलानी भी कुछ पल भुंतर में रूक कर पार्क में टहल सकें। दिनेश सूद ने भुंतर नगर पंचायत की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े करते हुये आरोप लगाया कि जब नगर पंचायत के पास कचरे को उठाने के लिये अपने दो वाहन हैं तो फिर लाखों रूपये खर्च करके ठेके पर क्योें वाहन लगाये हैं।
उन्होंने आरोप लगाया कि नगर पंचायत अपने वाहनों को प्रयोग नहीं कर रही है और वाहन चालकों को बिना काम के वेतन दिया जा रहा है। नगर पंचायत के पूर्व अध्यक्ष ने कहा कि जब वह नप के अध्यक्ष थे तो भुंतर मेले के आयोजन से नगर पंचायत को काफी लाभ होता था और उस पैसे को शहर के विकास कार्यों पर खर्च किया जाता था। लेकिन आज स्थिति यह है कि मेले के आयोजन से लाभ तो दूर आयोजन के लिये और ज्यादा पैसा खर्च किया जाता रहा। जिससे साफ है कि नगर पंचायत अपने कार्य में पूरी तरह से लापरवाह है और शहर के विकास कार्यों में कोई रूचि नहीं ली जा रही है।
उन्होंने जिला प्रशासन से मांग की है कि भुंतर नंगर पंचायत के कामकाज की समीक्षा की जाये और यहां के विकास कार्यों को गति दी जाये। ताकि लोगों का सहुलियत मिल सके।