मंडी जिला के साईगलू स्कूल की अध्यापिका और जिला अध्यक्षा ( महिला वर्ग) भारती बहल का कहना है कि समस्या बड़ी हो या छोटी, होती तो समस्या ही है परंतु हर समस्या का हल निकल ही आता है। आज जब पूरा देश 'कोरोना' के चलते घरों में रहने को बाध्य है, वहीं बहुत से लोग ऐसे हालातों में बहुत सी मुश्किलों का सामना भी कर रहे हैं । वहीं अगर हम बात करें बच्चों के भविष्य की तो उनकी पढ़ाई को लेकर शिक्षा विभाग ने जो फैसला किया है "हर घर बने पाठशाला" यह एक बहुत ही सकारात्मक सोच है।
अध्यापक वर्ग के बहुत से मेहनती अध्यापक इस काम में काफी समय से बहुत अच्छे-अच्छे प्रयत्न भी कर रहे हैं। जिस तरह से आज हमारी पुलिस, चिकित्सक व अन्य सुरक्षाकर्मी अपने अपने कर्तव्य निभा कर लोगों को सुरक्षा प्रदान कर रहे हैं उसी तरह अब शिक्षक वर्ग भी घर बैठकर अपने विद्यार्थियों को 'ऑनलाइन' शिक्षा जैसे व्हाट्सएप ग्रुप बनाकर होमवर्क देना या जिन बच्चों के अभिभावकों के पास पास समार्ट फोन नहीं है ,उन्हें फोन करके घर पर पढ़ाई करने की गाइडलाइंस बता रहे हैं।
उन्होंने कहा कि जहां तक मेरा सवाल है मुझे यह लगता है इस मुसीबत की घड़ी में मोबाइल, रेडियो, टीवी इत्यादि माध्यमों से बच्चों को पढ़ाना व उनके साथ जुड़े रहने का एवं उन्हें एंगेज रखने का एक अच्छा तरीका है ,परंतु कहीं यह भी लगता है कि कुछ अध्यापक व अभिभावक इस ऑनलाइन शिक्षा के पक्ष में नहीं हैं ,हां हम मानते हैं कि यह एक एक्टिव क्लासरूम जैसा प्रभावशाली तरीका तो नहीं है पर इस समय सबकी भलाई भी इसी में है ।मेरा सभी बच्चों अध्यापक साथियों तथा अभिभावकों से आग्रह है कि कुछ समय जब तक हालात सुचारू नहीं हो जाते कृपया सब एक दूसरे की सहायता करें व बच्चों की पढ़ाई खराब ना हो इस बात को ध्यान में रखते हुए सरकार एवं शिक्षा विभागों के आदेशों का पालन करें ।