डलहौज़ी हलचल (डलहौज़ी) :- देश की आजादी के नायक रहे नेताजी सुभाष चंद्र बोस की आज 75वीं पुण्यतिथि है। चंबा जिला की विश्व प्रसिद्ध पर्यटन नगरी डलहौज़ी के साथ नेता जी का गहरा नाता रहा है।
नैसर्गिक दृश्यों से भरपूर डलहौजी का ऐतिहासिक महत्व भी कम नहीं है। यहां पर उनके नाम से एक ऐतिहासिक बावली स्थित जोकि आज भी लोगों को । आजाद हिन्द फौज के कर्मठ नेता और 'जय हिंद' का नारा देकर ब्रिटिश हुकूमत की नींव हिला देने वाले भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के महानायक सुभाष चंद्र बोस (जन्मः 23 जनवरी 1897) का डलहौज़ी से गहरा नाता रहा है।
वर्ष 1937 में मई महीने की शुरुआत में सुभाष चंद्र बोस ने डलहौजी में सात महीने गुप्त रूप से बिताए। डलहौजी आने से पूर्व ब्रिटिश हुकूमत ने सुभाष को जेल में डाल दिया था। यहां उनका स्वास्थ्य तेजी से गिर रहा था। परिवार के आग्रह पर और बिगड़ती हालत के चलते ब्रिटिश हाईकोर्ट ने 'नेताजी' को पैरोल पर रिहा कर दिया। इसके बाद सुभाष चंद्र बोस ने इंग्लैंड के अपने छात्र जीवन के मित्र डॉ। धर्मवीर और उनकी पत्नी के पास डलहौजी जाने का फैसला किया। उन दिनों डलहौजी उत्तर भारत का प्रसिद्ध आरोग्य-स्थल था।
यहां 1937 में अपने गिरते स्वास्थ्य के कारण आएं थे और 7 महीने तक यहां की सुंदर वादियों में रहे थे ताकि वह जल्द ठीक हो सकें इसी बीच वह नियमित रूप से वह सुभाष बावली जाते और यहाँ के प्राकर्तिक पानी का करने लगे और कहा जाता है कि यहां के पानी के औषधिय गुण के कारण नेता जी शीघ्र ही स्वस्थ होकर लौटे इस बावली के चमत्कारी पानी के सेवन तथा डलहौज़ी शुद्ध वातावरण और यहाँ की शुद्ध वायु से नेताजी में नई शक्ति का संचार हुआ और वह पूर्ण स्वस्थ हो गए ।
आज भी देश विदेश से आने वाले पर्यटक इस स्थान पर आकर यहाँ के इस शुद्ध व् चमत्कारी पानी का सेवन करते हैं।